बॉलीवुड अभिनेत्री से राजनेता बनीं कंगना रनौत ने अपनी राजनीतिक पारी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि वह अभी भी राजनीति में खुद को ढालने की कोशिश कर रही हैं और इस करियर से उन्हें उतनी संतुष्टि नहीं मिल रही है जितनी लोगों को लगती है। कंगना ने यह बातें हाल ही में एक यूट्यूब पॉडकास्ट आत्मन् इन रवि (AIR) के दौरान कहीं।
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मार्च 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़कर कंगना ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। लेकिन अब, एक साल से भी कम समय में, उन्होंने अपने दिल की बात साझा करते हुए बताया कि राजनीति उनके लिए वैसी नहीं है जैसी उन्होंने सोची थी।
राजनीति में कैसे आईं कंगना रनौत?
कंगना ने पॉडकास्ट में बताया कि उन्होंने राजनीति में आने का फैसला तब किया जब उन्हें भाजपा से औपचारिक ऑफर मिला। उनके मुताबिक,
“मुझे राजनीति में आने का मौका मिला और मैंने सोचा, चलो एक बार कोशिश करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि यह करियर उनके लिए बिल्कुल नया और अलग है, और उन्हें अभी भी समझ नहीं आ रहा कि इस क्षेत्र में कैसे बेहतर काम किया जाए।
‘सेवा भाव नहीं रहा मेरी पृष्ठभूमि का हिस्सा’
जब कंगना से पूछा गया कि क्या वह राजनीति में आने के बाद खुश हैं, तो उनका जवाब ईमानदार था। उन्होंने कहा,
“मैं धीरे-धीरे इस काम को समझ रही हूं। लेकिन अगर कहा जाए कि मैं इसे एंजॉय कर रही हूं, तो ऐसा नहीं है। यह एकदम अलग तरह का काम है, जैसे कोई समाज सेवा हो। यह मेरी पृष्ठभूमि का हिस्सा नहीं रहा है।”
उन्होंने यह भी माना कि भले ही वह महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाती रही हैं, लेकिन पंचायत या नगरपालिका से जुड़ी समस्याएं उनके अनुभव से बाहर हैं।
‘मैं सांसद हूं, लेकिन लोग नाली और सड़क की शिकायत लेकर आते हैं’
कंगना ने बताया कि उनके पास आने वाले लोग बड़ी नीतिगत समस्याओं की बजाय स्थानीय मुद्दों को लेकर परेशान रहते हैं।
“किसी की नाली टूटी है तो वो मेरे पास आकर कहता है, इसे ठीक करवा दो। मैं कहती हूं कि ये काम पंचायत या विधायक का है। लेकिन लोग कहते हैं, ‘आपके पास पैसे हैं, आप अपने पैसे से करवा दो’। उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कर सकता है, उन्हें तो समाधान चाहिए।”
कंगना ने इस अनुभव को थकाऊ और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण बताया।
प्रधानमंत्री बनने की इच्छा? जवाब है नहीं
जब पॉडकास्ट में कंगना से पूछा गया कि क्या वह कभी प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश रखती हैं, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया।
“नहीं, मैं खुद को उस भूमिका के लिए योग्य नहीं मानती। मैंने हमेशा खुद की जिंदगी जी है, अपने करियर पर फोकस किया है। सामाजिक कार्य मेरे स्वभाव का हिस्सा नहीं रहा है।”
इस स्वीकारोक्ति ने दिखाया कि भले ही कंगना सोशल मीडिया पर मजबूत राजनीतिक राय रखती हों, लेकिन वास्तविक राजनीति की ज़मीन पर उनके अनुभव अलग हैं।
2024 का चुनाव और मंडी से ऐतिहासिक जीत
कंगना रनौत ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मंडी सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह को 74,755 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत कई मायनों में खास थी क्योंकि कंगना के राजनीतिक अनुभव को लेकर कई सवाल उठे थे।
उनकी उम्मीदवारी को लेकर शुरू में काफी बहस हुई थी कि एक फिल्म अभिनेत्री जनता की सेवा कैसे कर पाएगी। लेकिन चुनाव परिणामों ने उन सभी संदेहों को पीछे छोड़ दिया।
विजय के अगले दिन एयरपोर्ट विवाद
अपनी ऐतिहासिक जीत के अगले ही दिन कंगना रनौत एक विवाद में फंस गईं। चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर एक CISF महिला अधिकारी द्वारा थप्पड़ मारे जाने की खबर वायरल हो गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया।
इसके बाद कंगना ने एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि वह सुरक्षित और स्वस्थ हैं। उन्होंने अपने समर्थकों का धन्यवाद करते हुए बताया कि वह इस मामले को लेकर उचित कार्रवाई करेंगी।
अभिनेत्री और सांसद – दोहरी जिम्मेदारी
कंगना ने भले ही राजनीति में कदम रख दिया हो, लेकिन उन्होंने फिल्मों से पूरी तरह दूरी नहीं बनाई है। वह अभी भी प्रोडक्शन हाउस चलाती हैं और फिल्म निर्माण की योजनाओं पर काम कर रही हैं। हालांकि फिलहाल उनका प्राथमिक फोकस मंडी लोकसभा क्षेत्र की सेवा पर है।
उनकी यह दोहरी पहचान दर्शाती है कि बॉलीवुड और राजनीति का गठजोड़ भारत में अब नया नहीं रहा है। लेकिन कंगना इस मामले में खास हैं क्योंकि वह अपने करियर के चरम पर राजनीति में आई हैं, जब अधिकांश फिल्मी सितारे रिटायरमेंट के करीब होते हैं।
जनता की प्रतिक्रिया और आगे का रास्ता
कंगना की हालिया टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। कुछ लोग उनके ईमानदार और यथार्थवादी दृष्टिकोण की तारीफ कर रहे हैं, वहीं कुछ आलोचकों का मानना है कि उन्हें पहले से ही इस भूमिका के लिए तैयार रहना चाहिए था।
फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि कंगना रनौत राजनीति में लंबे समय तक रहेंगी या नहीं। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया है कि जब तक वह इस भूमिका में हैं, वह ईमानदारी से जनता की सेवा करना चाहती हैं।
कंगना रनौत की यह स्वीकारोक्ति कि राजनीति वैसी नहीं है जैसी उन्होंने सोची थी, इस बात को साबित करती है कि जन सेवा और चुनावी राजनीति में जमीन-आसमान का फर्क होता है।
उनकी यात्रा उन सभी के लिए सीख है जो यह मानते हैं कि लोकप्रियता ही सफल राजनीति की गारंटी है। राजनीति में सफलता पाने के लिए नीतिगत समझ, धैर्य, और जमीनी जुड़ाव की जरूरत होती है।
KKNLive आगे भी कंगना की राजनीतिक यात्रा और उनके कामकाज पर नज़र रखेगा।
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